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लेखनी कहानी -10-Feb-2022 #वार्षिक_प्रतियोगिता

मैं यूँ बयान कर सकूँ देश की मिट्टी की खुशबू, 

हवा जैसे बयान करती है बहार की खुशबू 

लहलहाती है यूँ खेती किसान की ज़मीन पर
जैसे दिल में रहती है वतन से मोहब्बत की खुशबू 

ज़िन्दगी कुर्बान की है इक आह पर,।।
यूँ ही नहीं नसीब हुई है ये आज़ादी की खुशबू 

आप को आती होगी बंटवारे की नीति
मुझे तो हर देशवासी से आती है अपनेपन की खुशबू ।।।


रूही 


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4 Comments

वैभव

10-Feb-2022 06:58 PM

Very nicely written

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Amreenzaheer(Ruhi)

11-Feb-2022 07:41 PM

Bohat shukriaaaaaa 😇

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Swati chourasia

10-Feb-2022 06:11 PM

Very beautiful 👌

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Amreenzaheer(Ruhi)

11-Feb-2022 07:41 PM

Bohat shukriaaaaaa 😇

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